Shab E Barat 2024: मुस्लिम क्यों मनाते हैं शब ए बारात, जानिए इस दिन क्या करते हैं
Shab E Barat 2024: मुस्लिम क्यों मनाते हैं शब ए बारात, जानिए इस दिन क्या करते हैं
Shab E Barat 2024,
Why Muslim Celebrate Shab E Barat:
शब-ए-बारात मुस्लिमों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है जो इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 15वीं रात को मनाया जाता है। जानिए शब-ए-बारात क्यों मनाया जाता है और इस दिन क्या करते हैं।
Shab A Barat Kya Hai (शब ए बारात क्या है)
इस्लामिक कैलेंडर अनुसार यह रात शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। इस दिन विश्व भर के मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और दुआएं मांगते हैं। साथ ही अपने गुनाहों के लिए तौबा करते हैं। अरब में शाबान महीने की इस रात को लैलतुल बराह के नाम से जाना जाता है तो भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान और नेपाल में इसे शब ए बारात के नाम से जाना जाता है।
Why Muslim Celebrate Shab E Barat (शब ए बारात क्यों मनाते हैं)
इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं अनुसार 15 शाबान को शिया मुसलमानों के 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी का जन्म हुआ था। कहते हैं उस दिन से ही मुसलमान भाई इस दिन को उनके जन्मदिन के रूप में मनाने लगे। वहीं कई मुसलमान ये मानते हैं कि 15वीं शाबान को अल्लाह ने नूह के मेहराब को जानलेवा बाढ़ से बचाया था। वहीं एक हदीस में, पैगंबर मुहम्मद को शाबान की 15 तारीख में जन्नतुल बकी का दौरा करते देखा गया था। माना जाता है कि इस रात को पैगंबर मुहम्मद ने कब्रिस्तान में अपने परिवार के सदस्यों के लिए प्रार्थना की थी। कहते हैं इसी आधार पर कुछ मौलवियों ने इस रात को कब्रिस्तान में पवित्र ग्रंथ कुरान का पाठ करने और मृत पूर्वजों के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी। सुन्नी इस्लाम परंपराओं अनुसार अल्लाह इस रात में नर्क की यातना झेल रहे मुसलमानों को मुक्त करते हैं।
How Muslim Celebrate Shab E Barat (भारत में कैसे मनाते हैं शब ए बारात)
भारत के मुस्लिम लोग शब ए बारात की पूरी रात अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरान की तिलावत भी करते हैं। ऐसा मान्यता है कि शब-ए-बारात वह रात है जब अल्लाह लोगों का भाग्य तय करते हैं। इसलिए इस दिन मुस्लिम लोग प्रार्थना करते हैं और अपने गुनाहों के लिए मांफी मांगते हैं। भारत में शब-ए-बारात के दिन रोजा रखने की भी परंपरा है लेकिन ये अनिवार्य नहीं माना गया है। साथ ही इस दिन जरूरतमंदों की मदद करना बेहद पुण्य का काम माना जाता है। इस रात को व्यक्तिगत पूजा मुस्तहब मानी गई है। इसके अलावा इस दिन बल्ब जलाना, मोमबत्ती जलाना, लजीज व्यंजन बनाना, नए कपड़े पहनना, हलवा बनाना और मस्जिदों में सामूहिक प्रार्थना करना आदि कार्य किए जाते हैं।
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